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आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक बोले- प्रदेश में रोजाना 40 से 50 हजार केस आएंगे

यूपी में 19 जनवरी से आ सकती है कोरोना की तीसरी लहर की पीक

कानपुर। आईआईटी कानपुर के प्रो.मणींद्र अग्रवाल ने कोरोना की तीसरी लहर पर नया आकलन किया है। गणितीय मॉडल के आधार पर किए गए अध्ययन से उन्होंने संभावना जताई है कि यूपी में 19 जनवरी से कोरोना की तीसरी लहर की पीक आ सकती है। इसमें रोजाना 40 से 50 हजार केस सामने आएंगे। जनवरी के आखिरी हफ्ते से केस कम होने शुरू हो जाएंगे। प्रो.अग्रवाल ने यूपी के अलावा देश के कई राज्यों पर अपना अध्ययन पेश किया है। उन्होंने बताया,मॉडल सूत्र के अनुसार रोजाना 7 लाख केस देश भर में आने की संभावना है।
फरवरी के आखिरी हफ्ते तक यूपी में तीसरी लहर खत्म हो जाएगी। प्रो.अग्रवाल के मुताबिक यूपी में 1% से भी कम मामले सामने आए हैं, जिनमें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी हो। प्रो. मणींद्र अग्रवाल की पहली और दूसरी लहर को लेकर बताए गए पूर्वानुमान सही साबित हुए थे। तीसरी लहर को लेकर भी उन्होंने पहले भविष्यवाणी की थी,जो सच साबित हुई।



प्रो.मणींद्र अग्रवाल ने बताया,ओमिक्रॉन ने जब फैलना शुरू किया तो बहुत चिंता हो रही थी। लेकिन पिछले एक हफ्ते में,लगभग हर जगह के लोगों का निष्कर्ष निकाला है कि यह केवल माइल्ड संक्रमण का कारण बनता है और परीक्षण करने के बजाय मानक उपचार के साथ इसे संभाला जा सकता है। देश के कई बड़े शहरों जैसे मुंबई और दिल्ली में इसका पीक कब आया और कब खत्म हो गया उसका पता भी नहीं चला। इन शहरों से संक्रमितों की संख्या में भी भारी कमी देखने को मिली है।

यूपी,असम,हरियाणा और कई राज्यों में अभी पीक आना बाकी

प्रो.मणीन्द्र अग्रवाल ने बताया,दिल्ली और मुंबई में पीक ना के बराबर देखने को मिला है। अब यूपी, असम, बिहार, हरियाणा,महाराष्ट्र,गुजरात,तमिलनाडु,आंध्र प्रदेश और कर्नाटक पीक देखने को मिलेगी। जो आकलन किया था उसे हिसाब से पीक वैल्यू मॉडल की भविष्यवाणी का लगभग आधा होगी।

कई राज्यों में फरवरी के पहले या दूसरे हफ्ते में पीक खत्म भी हो जाएगी। प्रो. अग्रवाल ने बताया, मॉडल के अनुसार ज्यादातर राज्यों में तीसरी लहर का अंत फरवरी के दूसरे हफ्ते तक हो जाएगा।

प्रो.अग्रवाल ने बताया, पूरे देश में जिस तेजी से संक्रमण फैला है उसे देखते हुए यह डेल्टा वैरिएंट नहीं हो सकता क्योंकि दूसरी लहर के बाद से ही पूरे देश में डेल्टा वैरिएंट के बहुत कम केस देखने को मिल रहे थे। यह ओमिक्रॉन ही है जो काफी माइल्ड है और इसमें अस्पताल में भर्ती होने की दर बहुत कम है।




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