मुसीबत के दौर में सीढ़ी और पेड़ के सहारे नदी पार कर जनता
केलंग। हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहुल स्पीति में बादल फटने के बाद आई बाढ़ ने घाटी में भारी तबाही मचाई है। सब जगह जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉक्टर रामलाल मार्कंडेय एक सप्ताह से ग्रामीणों के बीच में डटे हुए हैं। मंत्री जान जोखिम में डालकर दूर दराज के गांव पहुंच रहे हैं और उनका हाल जान रहे हैं। सोमवार को कैबिनेट मंत्री ने जान जोखिम में डाल कर लाहुल के बाढ से प्रभावित हुए चोखंग, गवाडी, नैनगार गांव का दौरा किया और नुक्सान का जायजा लिया।
बाढ़ के कारण सड़क व फसल का बहुत नुकसान हुआ है। पानी की कूहल भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई हैं। मार्कंडेय ने अधिकारियों को नुकसान का आकलन करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा किसानों को विश्वास दिलाता हूं कि सभी को हर संभव सहायता दी जाएगी और इस संकट की घड़ी में किसानों के साथ खड़ा रहूंगा।
हालात ऐसे बन गए थे कि हर कदम पर जोखिम था। गत मंगलवार को छोटा दड़ा नाले की बाढ़ को पार किया तो लगा कि यहीं जोखिम है आगे राहत मिलेगी। लेकिन लोगों के बाढ़ में बह जाने के समाचार ने हिला कर रख दिया। चारों तरफ आई त्रासदी से मन विचलित हो उठा।
शवों की तलाश के बाद आगे बढ़ा तो शांशा पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। सीढ़ी के सहारे उफनते शांशा नाले को पार कर जाहलमा पहुंचा। हिम्मत से काम लिया और मायड़ घाटी जा पहुंचा। चांगुट के ग्रामीण दिकत में थे इसलिए उनकी दिक्कत के आगे नाला भी छोटा दिखा और नाले को लकड़ी के सहारे पार किया।
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