आजादी का जश्न
Anurag Kumar Dwivedi (Editor)
आजादी हर किसी को प्यारी होती है। भारत भी अंग्रेजो के चंगुल से आजाद होने की वर्षगांठ मना रहा है। हर भारतवासी अपने को आजाद मानता है। आजादी के अपने अलग-अलग मायने हैं। हर कोई अपने नजरिये से आजादी को देखता है। कोई सरकारी तंत्र की भ्रष्ट नीतियों से आजाद होना चाहता है। तो कोई सरकार की उन अच्छी नीतियों से भी जो अपराधियों पर नकेल कसती हैं। क्योंकि अपराधी भी तो आजादी चाहता है। वह तब तक खुश रहता है जब तक वह सरकार के या किसी बंधन में नहीं रहता लेकिन जैसी ही उस पर शिकंजा कसने लगता है वह परेशान हो जाता है और आजादी की कामना करने लगता है।
आजादी कोई खैरात नहीं बल्कि अनेक बलिदान के बाद मिलती है। जैसे भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिए तमाम क्रांतिकारियों ने अपना सर्वस्व लुटा दिया था। व्यक्ति जब किसी समस्या में फंस जाता है तो वक उस समस्या से आजाद होना चाहता है। लेकिन जब आज किसी कैद में बंद हों और कैदखाने के बाहर शेर बैठा हो तो आप किसे पसंद करेंगे आजादी को या उसी कैद को जहां आप शेर से सुरक्षित हैं। यह फैसला तो आपका है। फिलहाल हम बात कर रहे हैं आजादी की। गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ व्यक्ति सीमित हो जाता है लेकिन जैसे ही उसे आजादी मिल जाती है वह खुले आसमान में घूमते हुए पक्षी की तरह गुनगुनाने लगता है। हर व्यक्ति को आजाद होना चाहिए। आजादी उसका अधिकार है।
लेकिन ऐसी आजादी से दूर रहना चाहिए जिस आजादी से आपका अस्तित्व ही समाप्त हो जाए। क्योंकि पतंग की ऊंचाई की तारीफ तभी तक होती है जब तक वह डोर में बंधी होती है लेकिन जैसे ही पतंग की डोर टूट जाती है और वह पहले से अधिक ऊंचाई पर चली जाती है लेकिन तब उसकी ऊंचाई की तारीफ नहीं होती। इसलिए सही नियमों और मपदंडों में रहकर आजादी को स्वीकारना चाहिए न कि अपने मनमुताबिक निर्णयों के अनुसार आजादी का पाठ पढ़ना चाहिए।
क्योंकि शराबी व्यक्ति तो शराब को ही औषधि बताएगा। भले ही उस शराब से उसकी जिंदगी क्यों न बिगड़ रही हो। फिलहाल सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। हर किसी को आजादी का जश्न मनाना चाहिए बशर्ते उसकी आजादी से किसी दूसरे की आजादी न बाधित हो। धन्यवाद।

कोई टिप्पणी नहीं