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उपेक्षा की शिकार है महर्षि पाराशर की तपोस्थली (Shri Ramjanki Times)

अयोध्या। अयोध्या जनपद के उत्तरी सिरे मया-टांडा संपर्क मार्ग पर हाईवे से सटे 7 सौ मीटर की दूरी पर निरंतर कल कल बहती सरयू नदी के किनारे डेढ एकड परिक्षेत्र मे फैले रामायण कालीन महर्षि पाराशर की तपोस्थली क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों तथा शासन-प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है।करीब 7-8 साल पूर्व यहां पर श्रद्धालुओं के रूकने व ठहरने के लिये समाजसेवी पं0 श्याम नरायन तिवारी द्वारा दान की गयी जमीन पर  एक कमरा तथा महिलाओं को वस्त्र बदलने के लिए चेंजिंग रूम के अतिरिक्त मुख्य मार्ग से मंदिर परिसर तक आधा अधूरा इण्टर लाकिंग सडक बनवाया तो गया है,लेकिन वह भी समय बदलने के साथ अपनी कायाकल्प की बाट जोह रहा है।



 चैत्र राम नवमी, महाशिवरात्रि, कार्तिक पूर्णिमा सहित अन्य त्यौहारों पर आज भी यहा मेला लगता है और पुण्य कमाने तथा सरयू नदी मे स्नान की चाह रखने वालो का भोर से ही तपोस्थली समीप सरयू घाट पर हजारो की संख्या मे महिलाओं-पुरूषो का जुटना शुरू हो जाता है।लेकिन घाट पर ना तो सीढी बनी और न ही यात्रियों के विश्राम हेतु विश्रामालय व बेंच।क्षेत्रीय लोगो की मांग पर यह स्थल उ0प्र0 पर्यटन स्थल के नक्शे से आज भी कोसो दूर है।प्रदेश में कांग्रेस सरकार के जाने के बाद कई बार बसपा,सपा और भाजपा की सरकार बनी,लेकिन इसकी बदहाल सूरत आज तक नहीं बदली। 12 साल पूर्व यह इलाका कटेहरी विधानसभा का अंग हुआ करता था।यहा से कई बार बसपा से चुनाव जीतने वाले विधायक धर्मराज निषाद बसपा सरकार मे एक बार मंत्री भी बने,किंतु इस रमणीक स्थल के सुंदरीकरण हेतु कुछ नहीं किया।


बर्ष 2012 मे जब चुनाव आयोग ने नवसृजित गोसाईंगंज बिधान सभा का सृजन किया तो लोगो को यहा के काया कल्प की आस जगी थी।पहली बार चुनाव जीत कर असेंबली पहुंचे सपा बिधायक अभय सिंह ने अपनी निधि से इस मंदिर परिक्षेत्र से 3 सौ मीटर दूर स्थित दिलासीगंज अंत्येष्टि स्थल पर बरसात मे शव को जलाने मे हो रही परेशानियो को देखते हुए क्षेत्रीय लोगो की मांग पर टीन शेड शव स्थल के अलावा लोगो को बैठने के लिए गुंबद मे चबूतरा भी बनवाया था लेकिन पाराशर ॠषि के तपोस्थली के कायाकल्प की ओर उनका ध्यान ही नही गया।दिलचस्प है कि भाजपा-अपना दल से निर्वाचित हुए बिधायक खब्बू तिवारी का भी कार्यकाल ख़तम हो गया और मौजूदा विधायक का भी लगभग 2 साल का कार्यकाल ख़त्म होने क़ो हैं बावजूद स्थितिया जस की तस हैं। 

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