किन्नर पैदा हुई बच्ची तो मां-बाप ने तोड़ लिया नाता
बुलंदशहर। तीन माह पूर्व कंचन (काल्पनिक नाम) ने इस दुनिया में आंखें खोलीं तो उसकी किलकारियां सबको भाई थीं। अचानक सारी खुशियां उस वक्त काफूर हो गईं जब पता चला कि वह किन्नर है। माता-पिता कंचन को एक मंदिर के बाहर छोड़ गए। मां-बाप ने बेटी से बेरहमी से नाता तोड़ लिया लेकिन अपने शहर की एक महिला ने उससे जीवनभर का नाता जोड़ लिया है। अब कंचन जिले के किन्नर आश्रम में रहेगी। उसके संरक्षक की भूमिका में होंगी रंजना अग्रवाल।
कंचन की उम्र तीन माह है। वह कहां की है, कौन मां-बाप है, इस बारे में केवल इतना पता है कि श्रीकृष्ण मंदिर महानुभाव आश्रम पैठण रोड औरंगाबाद महाराष्ट्र में यह बच्ची सीढि़यों पर पड़ी मिली थी। सेवादारों के मुताबिक, लग्जरी कार सवार दंपती बच्ची को छोड़ गया था। सेवादारों ने भगवान का प्रसाद समझकर उसे संभाला। जब उसके किन्नर होने का पता चला तो चिंता बढ़ गई। गूगल को खंगाला तो पता चला कि बुलंदशहर में किन्नरों को संरक्षण व सुरक्षा देने वाला एकमात्र आश्रम है।
मंदिर प्रबंधन ने आश्रम की संस्थापिका व संचालिका रंजना अग्रवाल से संपर्क किया। रंजना ने किन्नर बेटी को अपनी बेटी बनाने व गोद लेने का प्रस्ताव मंदिर प्रबंधन के समक्ष रखा। कानूनी पेचीदगियां मंदिर प्रबंधन ने हल कीं। मंदिर प्रबंधन की सूचना पर वह पति गौरव अग्रवाल संग महाराष्ट्र पहुंच गईं। चार दिन बाद रंजना नयी बेटी को लेकर खुर्जा पहुंच गयी हैं। रंजना का बेटा गोपाल और मयंक नई बहन को पाकर खुश हैं। रंजना कहती हैं, वह अपने बच्चों की तरह कंचन को भी अच्छी शिक्षा व सम्मानजनक जिंदगी देंगी।
किन्नर आश्रम की पहली मेहमान
कंचन किन्नर आश्रम की पहली मेहमान है। रंजना अग्रवाल ने किन्नर आश्रम की परिकल्पना ही कंचन जैसी बेटियों के लिए की थी। रंजना का कहना है कि वृद्ध किन्नरों की हालत बहुत बुरी होती है। उन्होंने किन्नर आश्रम में ऐसे छोड़े गए बच्चे, बुजुर्ग किन्नरों को आश्रय देने व किन्नरों को स्वावलंबी बनाने को प्रशिक्षण केन्द्र खोलने का संकल्प लिया है। रंजना ने अपने जेवर बेचकर किन्नर आश्रम के लिए जमीन खरीदी है। आश्रम का निर्माण चल रहा है। कहती हैं, जब तक आश्रम पूरा नहीं होता, कंचन मेरे घर पर ही रहेगी।
Edit & Post by : Vishal Jaiswal : Shri Ramjanki Times
कोई टिप्पणी नहीं