लखनऊ में आतंकियों के पकड़े जाने के बाद काशी में हाई अलर्ट
राजधानी लखनऊ में विस्फोटक के साथ आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद वाराणसी में हाई अलर्ट घोषित किया गया है। काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद की सुरक्षा में तैनात पुलिस-पीएसी व सीआरपीएफ के जवानों को निगरानी में किसी भी स्तर पर चूक न होने के लिए आगाह किया गया है।
काशी विश्वनाथ कारिडोर निर्माण कार्य में लगे मजदूरों और सामग्रियां लाने वालों की हर-एक गतिविधि पर नजर रखने की हिदायत दी गई है। वहीं 15 जुलाई को वाराणसी आ रहे प्रधानमंत्री मोदी के दौरे को लेकर अभी से ही अतिरिक्त सतर्कता बरतने के की हिदायत दी गई है। साथ ही लखनऊ आने-जाने वाली ट्रेनों पर मुस्तैदी से नजर रखी जा रही है।
गश्त बढ़ाएं, औचक निरीक्षण कर देखें हकीकत
पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश के मुताबिक पुलिस वैसे तो रोजाना ही शहर में गश्त करती है। वीवीआईपी मूवमेंट को देखते हुए और मुस्तैदी के साथ गश्त करने को कहा गया है। सभी एसीपी को निर्देशित किया गया है कि वे अपनी सर्किल के थानेदारों को लेकर होटलों और गेस्ट हाउस में औचक निरीक्षण करें। रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और गंगा घाट के किनारे के गेस्ट हाउस और लाज का भी औचक निरीक्षण किया जाय। यह सब नियमित तौर पर जारी रहे। एसपी ज्ञानवापी सुरक्षा को निर्देशित किया गया कि विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में जो भी आए उसकी विधिवत तलाशी हो और कंट्रोल रूम से सभी सीसीटीवी कैमरों की मानिटरिंग में किसी किस्म की लापरवाही न होने पाए।
लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा आतंकी नईम नवंबर 2017 में लखनऊ में गिरफ्तार होने से पहले कई दिन तक बनारस में ठहरा था। नईम से पूछताछ में एटीएस को पता लगा था कि उसने गंगा घाटों, रेलवे स्टेशनों, मंदिरों जैसे भीड़-भाड़ वाले कई स्थानों की रेकी की थी। इसके बाद जनवरी 2020 में एटीएस ने वाराणसी से राशिद अहमद को गिरफ्तार किया था। राशिद आईएसआई को हिंदुस्तान के महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों, सीआरपीएफ कैंप और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों की फोटो खींच कर भेजता था। चंदौली जिले के मुगलसराय थाना के चौरहट पड़ाव का मूल निवासी राशिद वाराणसी के छित्तूपुर में रहता था।
पांच वर्ष नौ माह 14 दिन में हुए थे पांच आतंकी हमले
बनारस में 23 फरवरी 2005 को दशाश्वमेध घाट पर पहला आतंकी धमाका हुआ था। इसमें नौ लोगों की मौत हुई थी और नौ लोग घायल हुए थे। सात मार्च 2006 को संकट मोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन में आतंकी धमाका हुआ था। इन दोनों धमाकों में 28 लोगों की मौत हुई थी और 48 लोग घायल हुए थे। 23 नवंबर 2007 को वाराणसी, लखनऊ और फैजाबाद कचहरी में सीरियल ब्लास्ट हुआ था। वाराणसी कचहरी में हुए ब्लास्ट में नौ लोगों की मौत हुई थी और 157 लोग घायल हुए थे। सात दिसंबर 2010 को शीतला घाट पर धमाका हुआ था। इसमें दो लोगों की मौत हुई थी और 48 घायल हुए थे। यानी पांच वर्ष नौ माह और 14 दिन के भीतर पांच आतंकी हमले हुए, जिसमें 48 लोगों की मौत हुई और 262 घायल हुए थे।
Vishal Jaiswal : Sri Ramjanki Times
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